सताते है वोह मुझे करके बहाना |
आना ही नहीं, या हाँ कह कर मुकर जाना ||
ऐसा होता है सदियों में कभी ही कभी |
आसाँ नहीं यूँ किसी का किसी पर दिल आ जाना ||
तेरे सारे खुदा मगरूर है मेरी इबादत से |
बस एक वही है जिनको आता नहीं जताना ||
जबाब देता नहीं, और सुनता भी नहीं |
ऐसे खुदा को तू पत्थर से बनाना ||
वोह हिम्मत भी नहीं उस मगरूर दिल मैं |
की कह दे, आता नहीं हमें रिश्ता निभाना ||
दिल भर गया तेरे इस जहाँ से ए 'सुमित' |
जो मैं सो जाऊं, तो मुझे यहाँ से ले जाना ||
Friday, November 11, 2011
Subscribe to:
Posts (Atom)