Saturday, January 12, 2008
वो दील नसीब हुआ जीस को दाग भी ना मीला
वो दील नसीब हुआ जीस को दाग भी ना मीला |
मीला तो गम-कदा जीस में चीराग भी न मीला ||
गई थी कहके मैं लाती हू जुल्फ-ऐ-यार की बू |
फीरी तो बाद-ऐ-सबा का दीमाग भी न मीला ||
[बाद-ऐ-सबा = morning breeze; दीमाग=pride]
असीर करके हमें कीयों रीहा कीया सैयाद |
वो हमसफ़र भी छूटे वो बाग़ भी न मीला ||
[असीर=prisoner; सैयाद=hunter]
भर आए महफील-ऐ-साकी में क्यों ना आँख अपनी |
वो बे-नसीब हैं हम खाली अयाग भी ना मीला ||
[अयाग=cup]
चीराग लेके इरादा था बखत धूँधते |
शब-ऐ-फीराक थी कोई चिराग भी न मीला ||
ख़बर को यार की भेजा था गम हुआ ऐसा |
हबास-ऐ-रफ्ता का अब तक सुराग भी ना मीला ||
[हबास-ऐ-रफ्ता =lost senses]
बाग़-ऐ-जहाँ में वोह अंदलीब मैं हम |
चमन को फूल मीले हम को दाग भी न मीला ||
[अंदलीब=nightingale]
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2 comments
lice one buddy
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