Thursday, January 10, 2008

वो ग़ज़ल वालों का उस्लूब समझते होंगे ..


वो ग़ज़ल वालों का उस्लूब समझते होंगे |

चाँद कहते है कीसे खूब समझते होंगे ||

मैं समझता था मुहब्बत की ज़बान खुश्बू है |
फूल से लोग इसे खूब समझते होंगे ||

भूल कर अपना ज़माना ये ज़माने वाले |
आज के प्यार को मायूब समझते होंगे |

(बशीर बद्र द्वारा रचीत)

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