Sunday, April 27, 2008

कुछ देर फीर पास आए


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एक चेहरा --

एक चहेरे की मासूमियत पर नीसार हो गए |
गम--दील मैं कुछ खुसी मिलती चली गई ||

गुज़र गए गली--आशीक से वो कभी |
सासों मैं एक मिठास घुलती चली गई ||

बेपर्दा इस कदर वो कभी थे |
जाने क्यों आज हया घटती चली गई ||

चले आए जनाजे-ऐ-आशीक पर वह भी |
इस आस मैं कुछ सासे अटकी रह गई ||

कल सुबह तुम्हे देखा रास्ते में कुछ दूर से आते हुए |
कुछ देर फीर पास आए ... फीर दूरीयाँ बदती चली गई ||


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